इस प्रकार विवादित भूमि, जो कि आबादी की भूमि है, पर मूल वादी के बाबा जमींदारी विनाश अधिनियम लागू होने के समय से काबिज थे।
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एक प्रकरण में तो जिसमें निजी आवश्यकता के आधार पर मकान खाली कराने हेतु वाद दायर किया गया था, सुनवाई ४ २ वर्षों तक खिंचती रही इस दौरान मूल वादी पक्षकार गिरधारी लाल गिट्टानी की तो मृत्यु तक हो गई व उसकी विधवा व बच्चे केस लड़ते रहे ।
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इस प्रकार मंदिर का निर्माण मूल वादी नेब्बू लाल के जीवनकाल में ही होना प्रतीत होता है, अतः इसकी उपधारणा की जा सकती है कि मूल वादी नेब्बू लाल को इस तथ्य की जानकारी अवश्य रही होगी की मंदिर का निर्माण किसके द्वारा कराया गया, परन्तु वादी ने इस तथ्य को अपने अभिवचन में स्पष्ट नहीं किया है।
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इस प्रकार मंदिर का निर्माण मूल वादी नेब्बू लाल के जीवनकाल में ही होना प्रतीत होता है, अतः इसकी उपधारणा की जा सकती है कि मूल वादी नेब्बू लाल को इस तथ्य की जानकारी अवश्य रही होगी की मंदिर का निर्माण किसके द्वारा कराया गया, परन्तु वादी ने इस तथ्य को अपने अभिवचन में स्पष्ट नहीं किया है।